वैदिक गीता - गीता का शुद्ध वैदिक स्वरूप (eBook)
वैदिक गीता - गीता का शुद्ध वैदिक स्वरूप (eBook)

वैदिक गीता - गीता का शुद्ध वैदिक स्वरूप (eBook)

₹199

₹450

"वैदिक गीता - गीता का शुद्ध वैदिक स्वरूप" eBook में प्रामाणिक श्लोकों के साथ गीता का मूल वैदिक अर्थ प्रस्तुत किया गया है। यह संस्करण आधुनिक भ्रांतियों से मुक्त, वैदिक एवं शास्त्रसम्मत व्याख्या प्रदान करता है।

 

📖 इस eBook में क्या खास है?

✅ मूल संस्कृत श्लोक – अध्याय अनुसार पूरे 700 श्लोक
✅ शुद्ध वैदिक व्याख्या – वेद, उपनिषद और प्राचीन भाष्यों के आधार पर
✅ सरल हिंदी अनुवाद – गूढ़ ज्ञान को समझने में सरल
✅ वैदिक दृष्टिकोण – योग, कर्म और धर्म की वास्तविक परिभाषा
✅ PDF फॉर्मेट – किसी भी डिवाइस पर पढ़ने की सुविधा

 

🌟 गीता का वैदिक ज्ञान क्यों जरूरी है?

आजकल गीता की कई भ्रामक व्याख्याएँ प्रचलित हैं। इस eBook के माध्यम से आप:
🔹 वैदिक सनातन धर्म का मूल सार समझेंगे
🔹 कर्मयोग, भक्ति और ज्ञान का सही अर्थ जानेंगे
🔹 जीवन की समस्याओं का वैदिक समाधान पाएँगे

 

✅ लेखक - आचार्य दीपक (वैदिक विद्वान)
✅ पृष्ट संख्या (Pages) - 572
✅ Book Format - Ebook
✅ Language - हिंदी

 

📥 अभी डाउनलोड करें और पाएं मूल गीता का ज्ञान!

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विषय सूची

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अध्याय 1: अर्जुन विषाद योग – मोह और धर्मसंकट, अध्याय 2: सांख्य योग – आत्मा का ज्ञान और कर्म की अनिवार्यता, अध्याय 3: कर्मयोग – निष्काम कर्म और समत्व, अध्याय 4: ज्ञान-कर्म-संन्यास योग – ज्ञान और कर्म का संतुलन, अध्याय 5: संन्यास योग – संन्यास और कर्मयोग का तुलनात्मक अध्ययन, अध्याय 6: ध्यानयोग – मन को वश में करने की कला, अध्याय 7: ज्ञान-विज्ञान योग – आध्यात्मिक एवं सांसारिक ज्ञान, अध्याय 8: अक्षर-ब्रह्म योग – मृत्यु और मोक्ष का ज्ञान, अध्याय 9: राजविद्या राजगुह्य योग – गुप्ततम ज्ञान और भक्ति, अध्याय 10: विभूति योग – श्रीकृष्ण की दिव्य विभूतियाँ, अध्याय 11: विश्वरूप दर्शन योग – ईश्वर के विराट स्वरूप का दर्शन, अध्याय 12: भक्तियोग – प्रेम और भक्ति का महत्व, अध्याय 13: क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ विवेक योग – शरीर और आत्मा का भेद, अध्याय 14: गुणत्रय विभाग योग – सत्व, रजस, तमस के प्रभाव, अध्याय 15: पुरुषोत्तम योग – परम पुरुष का ज्ञान, अध्याय 16: दैवासुर संपद विभाग योग – दिव्य और आसुरी गुण, अध्याय 17: श्रद्धा त्रिविधा योग – श्रद्धा के तीन प्रकार, अध्याय 18: मोक्ष संन्यास योग – अंतिम उपदेश और निष्कर्ष